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कोरोना वैक्सीन के बाद ब्लैक फंगस की दवा की कमी को लेकर केंद्र पर बरसे राहुल गांधी

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कोरोना के साथ उपजी दूसरी बीमारियो  को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है।  ट्विटर के माध्यम से मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सिस्टम के कुशासन के चलते सिर्फ़ भारत में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस महामारी है।  वैक्सीन की कमी तो है ही, इस नई महामारी की दवा की भी भारी कमी है।उन्होंने कहा कि इससे जूझने के लिए PM ताली-थाली बजाने की घोषणा करते ही होंगे।  बताते चलें कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को निर्देश देते हुए कहा है कि ब्लैक फंगस को महामारी कानून के तहत अधिसूचित की जाने वाली बीमारियों में शामिल करें और सभी केस रिपोर्ट किए जाएं।

मोदी सिस्टम के कुशासन के चलते सिर्फ़ भारत में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फ़ंगस महामारी है। वैक्सीन की कमी तो है ही, इस नयी महामारी की दवा की भी भारी कमी है। इससे जूझने के लिए PM ताली-थाली बजाने की घोषणा करते ही होंगे।आपकी जानकारी  के लिए  कोरोनावायरस के साथ यह बीमारी भी देश के लिए एक नई मुसीबत बनती जा रही है।अब तक इसके कई राज्यों में फैलने की सूचना है ।  इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं । फूड एंड ड्रग फाउंडेशन और एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाया है कि कहीं हम दूषित आक्सीजन और डिस्टिल्ड वाटर की जगह नल के पानी का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे क्योंकि इससे भी ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता है।

ऑल इंडिया फ़ूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर फ़ाउंडेशन ने सवाल उठाया है कि कहीं इस फंगस के अचानक फैलाव की पीछे एक बड़ा कारण दूषित ऑक्सीजन या इसमें इस्तेमाल होने वाला पानी तो नहीं? उसने फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को ये खत लिखा है जिसमें आशंका जताई है कि ऑक्सीजन की किल्ल्त के समय जब उद्योगों के लिए ऑक्सीजन बनाने वालों ने मेडिकल ऑक्सीजन बनाया तो नियमों पर अमल हुआ या नहीं?

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक