ऑक्सीजन और रेमडेसिविर के बाद अब ‘ब्लैक फंगस’ की दवाई भी बाजार से गायब, भटक रहे हैं लोग
कोविड 19 की दवाइयों और ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे मरीज के परिजनों पर एक और नई विपत्ति ‘ब्लैक फंगस’ के रूप में सामने आई है। जैसे-तैसे ऑक्सीजन और रेमडेसिविर का बंदोबस्त करने के बाद ब्लैक फंगस इन्फेक्शन होने पर मरीजों इलाज नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि जिस तरह रेमडेसिविर की बाजार में कमी है उसी तरह से ब्लैक फंगस के मरीजों को एंफोटेरिक या फिर लिपोसोमल एंफोटोरिसिन बी नाम के इंजेक्शन लगाने की सलाह डॉक्टर्स दे रहे हैं । दवाई की आपूर्ति की ही एक समस्या नहीं है, मरीज के परिजनों का कहना है की कोविड के इलाज में ही पूरी जमा पूंजी लग गई , इलाज में और दवाए बाजार में मिल हीं नहीं रही हैं।

इंदौर के दवा बाजार में एक बार फिर दवाइयों के लिए लाइनें नजर आने लगी हैं, सुबह से लोग लंबी-लंबी लाइनों में लगे देखे गए लेकिन इस बार रेमडेसिविर के लिए नहीं बल्कि नई बीमारी ब्लैक फंगस के लिए यह लाईन लगाई गई है। लोग सुबह से लाइनों में लगे हुए हैं पर दवा कहीं भी नहीं मिल रही है, जब भी किसी दवा की मांग होती है, वैसे हीं दवा बाजार से गायब हो जाती है। मरीज परेशान होते है और सरकार दवाए मुहैया कराने में भी नाकाम नजर आ रही है। शहर में अब ब्लैक फंगस की दवाए जैसे एंफोटेरिक या फिर लिपोसोमल एंफोटोरिसिन बी नाम के इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं।

रेमडेसिविर, तोजी, फेवी प्लू, ऑक्सीमीटर और ऑक्सीफ्लो मीटर के बाद अब ब्लैक फंगस की दवा की किल्लत शहर में देखी जा रही है। जबकि इंदौर में ब्लैक फंगस के मरीज लगातार शहर के अस्पतालो में बढते जा रहे है, एमवाय में इस बीमारी के खतरे को देखते हुए एक अलग से वार्ड तक बना दिया है, वहीं अन्य कई शहरो के मेडिकल कॉलेज में भी इस नई बीमारी के लिए वार्ड आरक्षित करने के आदेश जारी हो चुके हैं, पर जैसे-जैसे बीमारी के मरीज बढ़ रहे है वैसे-वैसे बाजार से दवाएं गायब होती जा रही हैं। लोग सुबह से लाईन में लगे होकर भी दवा नहीं हासिल कर पा रहे हैं।

